Wednesday, August 13, 2008

(9)
वायुयान की सफर में, वो सुख आया याद।
चढ़ विमान में राम को, मिला 'विजय' के बाद॥
(10)
लम्बी अवधि उड़ान ने, दी दोहा-सौगात।
सबके अधरों पर बसी, बस उनकी ही बात॥
(11)
निर्धारित पथ पर उड़ा रहा यान पाबंद।
वैसे ही खिलता रहा, दोहोें का आनन्द॥
(12)
कार ट्रेन का बस नहीं, करे हवा से बात।
वायुयान उड़ शान से, देता सबको मात॥
(13)
वायुयान की गोद में, करे सिनेमा काम।
जिसे देखना देखता, मांगे ना कुछ दाम॥
(14)
खाना पीना दे मजा, कुशल मधुर व्यवहार।
वायुयान में ऊबका, सहज सरल उपचार॥
(15)
नींद बांटती यान में, सुख सपनों की धूप।
सबके मन में बस गया, सुखद सलोना रूप॥
(16)
आदि अंत सचमुच लगे, भंवर बीच में नाव।
मध्य सफर दे यान में 'चेयरकार' का भाव॥

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